सूर्य का प्रकाश
माँ की गोद मे बैठकर बच्चा माँ का फोटो नही देखता है ,ठीक वैसा ही है ,परमात्मा के सत्य स्वरूप की अनुभूति हो जाने के बाद धर्म एक सीढ़ी है ,यह हम जान जाते है ।और प्रत्तेक आत्मा परमात्मा की अंश है ,यह भी जान जाते है ।और यही कारण है --लिंग का भेद भी समाप्त हो जाता है ; क्या पुरुष और क्या स्त्री !ये दोनो परमात्मा के ही पवित्र अंश है ,यह भाव स्वयं ही भीतर आ जाता है और लिंग के भेद भाव का अज्ञान दुर हो जाता है ।इस प्रकार हम कह सकते है की सदगूरू के प्राप्ति के बाद ही परमात्मा के स्वरूप के अनुभुतीरुपी सूर्य का उदय हो जाता है ।यह ठीक उसी प्रकार है ,जैसे सूर्योदय होने के बाद सारा अँधेरा दुर हो जाता है और सूर्य के प्रकाश मे सबकुछ स्पष्ट -स्पष्ट दिखना प्रारंभ हो जाता है ।
परम पूज्य स्वामीजी
ही .का .स .योग
खंड ५ पृष्ठ २२२
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