पुण्यकर्म अपने ही चित्त के शुद्धिकरण का मार्ग

पुन्यकर्म  करना  एक  भावना  है  जिस  भावना  से  हम दूसरों  को  सुखी  कर  सुख  पाते  है । वास्तव  में  तो  पुण्यकर्म  अपने  ही  चित्त  के  शुद्धिकरण  का  मार्ग  है , हम  हमारे  ही  चित्त  को  शुद्ध  करते  रहते  है ।

ही .का .स .यो
भाग ५ पृष्ठ २८
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