सारी दुनिया एकदम कोयले के काले वातावरण सरीखी है

" मै  भी  मेरे  जीवन  मे  अनुभव  करता  हूँ  की  इस  दुनिया  मे. . . ये  सारी  दुनिया  एकदम  कोयले  के  काले  वातावरण  सरीखी  है ।उसके  अंदर  एक  आत्मस्वरूप  मे  रहना  खूब  कठिन  है ।माने  एक  दिन  तो  छोडो ,एक  क्षण  भी  निकालना  कठिन  है . . . एक -एक  क्षण  भारी  है ।एक -एक  क्षण  महत्वपूर्ण  है ।और  एक -एक  क्षण  सतर्क  रहना  पड़ता  है ।

बाबा स्वामी

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