आत्मा  को  गुरु  बनाओ 

उस  एहसास  को  अनुभव  करो ।तो  शरीर  से  आप  किसके  संग  हो ,उससे  कोई  फर्क  नही  पड़ता  है । मै  यह  सब  कह  रहा  हूँ ,इसलिए  इस  पर  विश्वास  मत  रखो ।आप  स्वयं  अनुभव  करके  देखो ।केवल  गुरु  ने  कहा  है ,इसलिए  विश्वास  करना या  परंपरा  से  ऐसा  ही  है ,ऐसा  विश्वास  करना  कभी  शाश्वत  स्वरूप  का  नही  होता । आप  केवल  अपने  आत्मा  को  गुरु  बनाओ  और  वह  क्या  अनुभूति  कर  रहा  है ,वह  देखो  और  उसी  आत्मा  पर  विश्वास  करो ।
     
बाबा स्वामी
26 जनवरी 2012

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