मनोगत
मुझे मेरे जीवन मॆ आकाश मॆ उड़ने का और परमात्मा को जानने का अवसर गुरुकृपा मॆ प्राप्त हुआ था ।पर मेरी इच्छा थी ,यह प्रत्तेक मनुष्य को मिले जो ईश्वरप्राप्ति चाहते है ।बस इसी के लिए सारी ध्यानसाधना चल रही थी ।उस ध्यानसाधना मे समय कब व्यतीत होता था ,उसका पता ही नही चलता था ।. . .
बाबा स्वामी
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