लाखों आत्माओं की सामूहिकता

" वे आत्माएँ स्वयं ही तुम्हें पहचान लेंगी।उन्हें तुम दर्शनमात्र से हीअपने-से लगने लग जाओगे। वे केवल तुम्हारे दर्शन से आत्मसमाधान को प्राप्त करेंगी क्योंकि तुम्हारा शरीर ही इतने सारे गुरुओं का अधिकृत माध्यम है और अधिकृत माध्यम अत्यंत प्रभावशील होता है।तुम्हारे साथ लाखों आत्माओं की सामूहिकता स्पष्ट-स्पष्ट दिख रही है यानी समाज की लाखों आत्माएँ तुमसे जुड़ने वाली हैं।लेकिन वे यहाँ नहींआ सकतीं, तुम्हें ही समाज में जाना होगा। यह कार्य विश्वस्तर का है,वह यहाँ से नहीं हो सकता है।"
" वास्तव में यह सब तुम्हारा कार्य नहीं है,इसलिए इस कार्य के बारे में तुम्हें सोचना ही नहीं है। यह कार्य तो गुरुशक्तियों का है,तुम तो एक माध्यम हो।देखो और आंनद लो!गुरूशक्तियाँ कैसे काम करती हैं, देखों!तुम्हें भी माध्यम बनकर आनंद आएगा।जो जन्मों से बिछड़े हुए हैं,वे सभी इस जन्म में मिलने वाले हैं क्योंकि सभी का यह आखरी जन्म होगा। और वे लोग तब तक प्रतीक्षारत रहेंगे,जब तक तुम समाज में नहीं जाओगे।और भीतर संग्रहित इतनी शक्तियों का तुम करोगे क्या?तुम्हें तो उनकी आवश्यकता नहीं है। तुम्हारी आवश्यकता से इतनी अधिक शक्तियाँ देखकर ही मैं जान गया था कि वे तुम्हारी नहीं  हैं, किसी ने किसी को देने के लिए तुम्हें माध्यम के तौर पर दी हैं। तुम केवल माध्यम हो।"......

हि.स.यो-४                  
पु-३४३

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