चैतन्य की भाषा

दुनिया  मे  ऐसी  भाषा  कोई  नही  है  जिसे  पुस्तक  से  पढ़ा  जाए  और  सभी  को  समझ  मे  आ  जाए ।केवल  चैतन्य  की  भाषा  परमात्मा  और  आत्मा  की  भाषा  है ।इसमे  शब्द  नही  है ,अनुभूति  है  और  अनुभूति  से  ज्ञान  प्राप्त  हो  सकता  है ।. . .

बाबा स्वामी

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