सदगुरु केवल माध्यम है मोक्ष के

सदगुरु केवल माध्यम है मोक्ष के, निमित्त है मोक्ष के पर वास्तव में मोक्ष प्रत्येक आत्मा को स्वयं प्राप्त करना होता है। सदगुरू आत्मा को मोक्ष का मार्गदर्शनभर कर सकते हैं, मोक्ष दे नहीं सकते। क्योंकि मोक्ष ध्यान की उच्च अवस्था है, प्रत्येक को नियमित ध्यान-साधना कर वह प्राप्त करनी होती है। मोक्ष ध्यान की एक उच्च अवस्था है जिसमें शरीर के दोष सूक्ष्म रूप से छूट ही जाते है, बस स्थूल शरीर बाकी रहता है। .... आत्मा परमात्मा से एकाकार हो जाती है। यह समझिए कि जीते-जी मर जाना ही मोक्ष है। अब कोई आसक्ति नहीं रही, आसक्ति विहीन शरीर हो गया। सबसे बडी आसक्ति- और जीने की, वह भी समाप्त हो गई, तो जीते-जी मोक्ष की स्थिति प्राप्त हो गई।

हि.स.यो.१/ १७४

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