एक सांस

हम हमारे जिवन का अध्ययन करते है तो लगता है केवल एक सॉस मे ही जिवन सीमटा हुआ है, एक सॉस ही जिवन है। वह एक सॉस जब नही आ पाती है तो हमारे ही रिश्तेदार हमारे मित्र हमारे शरीर से जल्दी से जल्दी मुक्ती पाना चाहते है। वे कहते है  इस शरीर को अधीक समय मत रखो नही तो बदबु आने लगेगी।और वे उस शरीर को जल्दी से जल्दी जलाने का ही प्रयास करते है।वे भी कहते है यह रामु का शरीर है रामु तो चला गया।
याने जीस शरीर पर हमने इतना अपना अपना कहा मेरा मेरा कहा  वह भी हम छोडकर ही जाते है। जो जीवन भर धन जोडा सम्पत्ती जोडी सब यही छुट जाता है। क्योकी केवल और केवल आत्मा ही शाश्वत है बाकी सब नाशवान है। अब आप ही आत्मचिंन्तन करो की आप आपके जिवन के कीतने क्षण अपनी आत्मा के साथ बीताते है।अपनी आत्मा के साथ बीताया हुआ प्रत्येक “क्षण” अंन्त मे आपके साथ जायेगा ”इस लिये अपनी आत्मा को समय दे”

                    बाबा स्वामी
      अरडका राजस्थान समर्पण आश्रम अजमेर ( राजस्थान)

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