समेपण संस्कार
हमारी मानव सभ्यता को वीकसीत होने मे हजारो साल लगे है। और बाद मे वीभीन्न संन्तो ने वीभीन्न् गुरूओ ने मनुष्य के मानव धमे वीकसीत करने के प्रयास कीये उन सबका प्रयास तो मानव धमे वीकसीत करना ही था।
लेकीन मानव कही छुट गया और धमे वीकसीत हो गया।और फीर अलग अलग धमे बन गये। लेकीन सभी धमो के मुल मे तो एक ही उद्दैश था मानवता को वीकसीत करना।
इसलीये यह मानव समाज की स्थीती देख कर ८०० साल की तपस्या और साधना के बाद उन्होने बोलने और समझाने का मागे छोडकर सीधा “अनुभुती” का मागे खोज निकाला यह “अनुभुती” का मागे ही “समेपण संस्कार” है।
आपका बाहरी धमे कुछ भी क्यो न हो
आपको “ अनुभुती” एक समान होती है। वह “अनुभुती” से सीधा यह अनुभव का ज्ञान होता है। हम सब मानव समान है। हम भले ही अलग देश के हो अलग धमे के हो अलग भाषा के हो लेकीन भीतर से सब समान है। सब उस वैश्वीक चेतना से जुडे है । जीसे परमात्मा कहते है।
बाबा स्वामी
25-11-2017
राजस्थान समेपण आश्रम अरडका
अजमेर राजस्थान
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