समेपण संस्कार 2
एक पवीत्र और शुद्ध आत्मा के द्रारा एक पवीत्र और शुद्ध आत्मा पर कीया गया यह एक संस्कार है।इस प्रक्रीया को घटीत होने के लीये और इस संस्कार को ग्रहण करने के लीये प्रथम आत्मा होना पडता है।
आत्मा ही इस संसार मे नाशवान नही
है। बाकी सब नाशवान है।जब आप इस पवीत्र संस्कार को ग्रहण करते है। और अपने भीतर वीकसीत करते है। तो आप मानव से महामानव हो जाते है।और फीर आपका शरीर तो माध्यम बन जाता है। और फीर मेरे एक सामान्य मनुष्य के माध्यम से
भी 22 वषे मे ही विश्वस्तर का काये
हो जाता है।और यह हो सकता है। इसका उदाहरण मुझे हिमालय से समाज मे भेजकर “हिमालय के गुरूओ” ने दिया है। यह केवल
“समेपण संस्कार” से ही संभव हो सका है।
यह संस्कार विश्व का कोई भी मनुष्य ग्रहण कर सकता है।जो भी ग्रहण करना चाहे “परमात्मा”के दरवाजे सभी के लीये खुले है। समान भाव
और निशुल्क यह “परमात्मा” की
विषेषताऐ है।
बाबा स्वामी
राजस्थान समेपण आश्रम
अरडका अजमेर ( राजस्थान )
भारत
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