आत्मदेवो भव

अब  बहुत  दिन  हो  गए , हम  शरीर  बनकर  जी  लिए , अभी  से  हम  केवल  आत्मा  बनके  जिएंगे । देह  साधन  है , उसको  साधन  ही  रहने  दो । देह  को  सिर  पे  मत  चढ़ा  लो । जब  देह  सिर  पे  चढ़  जाती  है  तो  फिर  सहस्त्रार  कैसे  खुलेगा ? फिर  हमारा  जो  ब्रैइन  है , हमारा  जो  मस्तिक  है  वो  हवि  हो  जाएगा  और  फिर  हम  आत्मा  नही  रह  पाएँगे । तो  इसी  क्षण  से  हम  केवल  आत्मा  बनकर  जिए । . .

वंदनीय पूज्या गुरुमाँ
गुरुपूर्णिमा  2017            
कच्छ समर्पण आश्रम पुनडी

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