उन्होंने आश्चर्य से पूछा, क्या ऐसा हो सकता है कि आप शांत बैठें और आपको कोई विचार ही न आए ?

उन्होंने आश्चर्य से पूछा, क्या ऐसा हो सकता है कि आप शांत बैठें और आपको कोई विचार ही न आए ? मैंने कहा , हाँ , ऐसा हो सकता है । लेकिन यह ध्यान के अभ्यास से संभव है।
ध्यान एक प्रकार की साधना है जो  सतत अभ्यास से संभव है और जितनी कम उम्र में यह प्रारंभ करें, उतनी ही सफलता की संभावना अधिक होती है। क्योंकि शरीर सक्षम होता है। यह ठीक वैसा ही हे ,
इसीलिए बच्चों के जीवन में विचार का भण्डार भी नहीं होता है। १२ वर्ष की आयु से ध्यान सीखना चाहिए।

भाग ६ -५९

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