जन्म लेने का उद्देश्य

कई बार आत्मा जन्म लेने के बाद जन्म लेने का उद्देश्य ही भूल जाती है और जीवन की समाप्ति पर ,शरीर छोड़ने पर उसे अपने जीवन का उद्देश्य पता चलता है | लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है | प्रत्येक जन्म के समय आत्मा उत्क्रांति की और अग्रसर होती है | उत्क्रांति भौतिक, शरीरिक ,मानसिक सभी स्तरों पर होती रहती है | इसी उत्क्रांति के दौर में आत्मा को किसी जन्म में आत्मज्ञान मिलता है | आत्मज्ञान मिलना और आत्मज्ञान को समझना ,आत्मज्ञान को आत्मसात  करना यह जन्मों जन्मों के तहत होता है | यह एक जन्म में होने वाली घटना नहीं है | इसके लिए मनुष्य को अनेक जन्म लेने पड़ते है |

मनुष्य के प्रत्येक जन्म में उसके साथ एक और ऊर्जाशक्ति जुड़ती है,इसका नाम है - 'कुण्डलिनी शक्ति  ' | इसमें आत्मा के प्रत्येक जन्म का रिकॉर्ड ,लेखा - जोखा होता है | और इसके अनुसार ही आत्मा प्रत्येक जन्म में उत्क्रांति की ओर अग्रसर होती रहती है | यह कुण्डलिनी शक्ति प्रत्येक जन्म में आत्मा के साथ शरीर में आती है और मृत्यु के समय शरीर से जाती है | यही वह शक्ति है जिसके सहारे आत्मा अपनी आत्मिक प्रगति कर सकती है |

हि.स.यो.१/२३६

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