विचार अप्राकृतिक़ हैं।
विचार अप्राकृतिक़ हैं।विचार हमें प्रकृति से दूर करता है। क्योंकि जैसे ही हम प्रकृति के सानिध्य में जाते हैं तो विचार स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं। गुरुदेव ने मुझे इतना व्यस्त रखा था कि विचार करने के लिए समय ही नहीं था और सब कार्य प्रकृति के सानिध्य में आकर करने होते थे, तो अनजाने में प्रकृति के सानिध्य में रहने का अवसर मिलता था। और प्रकृति से बहुत कुछ सीखने को मिलता था।
हिंसा सदैव अप्राकृतिक है। हम रास्ते पर चल रहें हैं और अनजाने में हमारे पैर के निचे कोई चींटी आकर मर जाती हैं, तो इस प्रकार की अनजाने में हुई हिंसा तो समझ में आती है, पर जानबूझ कर किसी की हत्या करना प्रकृति के खिलाफ़ हैं।
हि. का. स. यो.
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