गुरुजी , जब खेत में गोभी काटते हैं तो कोई विचार नही आते हैं। लेकिन यहाँ बेठकर मंदिर में जप करते हैं तो खूब विचार आते हैं। ऐसा क्यों?

गुरुजी , जब खेत में गोभी काटते हैं तो कोई विचार नही आते हैं। लेकिन यहाँ बेठकर मंदिर में जप करते हैं तो खूब विचार आते हैं। ऐसा क्यों? मैंने कहा, जब अपना शरीर किसी भी कार्य में कार्यरत होता है, तब तो किसी को भी विचार नहीं आते हैं। ललेक़िन जब शरीर स्थिर, शांत बैठा है , तब भी विचार नहीं आना चाहिए। ऐसा करने में हम सफल हुए तो ही हम ईश्वर तक पहुँच सकते हैं।

भाग ६ - ५८

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