नामकरण
सद्गुरु बच्चे की आत्मा देखकर बच्चे का नामकरण करते हैं | सद्गुरु उस बच्चे की आत्मा को पहचानते हैं - वह आत्मा किस स्तर की है , उस आत्मा के पिछले जन्म में कौन से कर्म थे | उन सब कर्मों का लेखा जोखा देखकर इस जन्म में उस आत्मा का क्या उद्देश्य है और उस आत्मा की कौन सी दिशा है , वह दिशा सद्गुरु जानते हैं | -- अपने जीवन में अपने उद्देश्य को प्राप्त करे ,इसके लिए सद्गुरु उसे नाम से सम्बोधित कर अपने आशीर्वाद उसके साथ जोड़ देते हैं |
प्रत्येक नाम के साथ एक आभामंडल होता है | और उस आभामंडल को जानकर उसे उपयुक्त शरीर के साथ नाम के रूप में जोड़ना एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटना है |
प्रत्येक आत्मा के जीवन के उद्देश्य अलग अलग होते हैं और प्रत्येक नाम का आभामंडल अलग अलग होता है | दोनों को जानकर , दोनों को पहचानकर ,दोनों को उपयुक्त रूप में जोड़ना और उन्हें एकत्र कर ,जोड़कर फिर अपनी सामूहिक शक्ति उस बंधन में प्रवाहित करना ,ऐसी त्रिवेणी संगम सद्गुरु द्वारा रखे गए नामकरण में होता है |
हि.स.यो. १/२७७
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