श्री गुरुशक्तिधाम आध्यात्मिक महत्व

*२. सान्निध्य*

प्राचीन समय में मूर्तियों का उपयोग *पूजा-अर्चना के लिए नहीं होता था , सान्निध्य के लिए होता था।* श्रद्धालु सान्निध्य प्राप्त करते थे, *चैतन्य प्राप्त करते थे।* तो उसी परंपरा को समाज में फिर से स्थापित करने के लिए  एक ध्यान-मंदिर की स्थापना की जा रही है जहाँ *पूजा-अर्चना नहीं पर शांति से बैठकर ध्यान कर सकते हैं, चैतन्य का अनुभव कर सकते है , उसे संग्रहित कर सकते है।*

पूज्य स्वामीजी समझाते हैं कि हम अगर श्री गुरुशक्तिधाम में प्रवेश करते समय अपने-आप को संतुलित करके, अपने-आप को एक पवित्र आत्मा समझकरके जाते हैं तो *वहाँ स्थापित ऊर्जा और चैतन्य को ग्रहण कर सकते हैं और एक आत्मानंद की हमे अनुभूति प्राप्त हो सकती है।*

*आत्मदेवो भव*

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी