केटल सांस्कृतिक बेदी

एक दिन सुबह केरल समझ के लोग मुझे मिलने आए। वे सब मिलकर ध्यान सीखना चाहते थे। उनकी अपनी एक संस्था थी - केटल सांस्कृतिक बेदी । उनमें से कुछ लोग पहले ध्यान सिख चुके थे। उन्हें एक दिन निच्छित करते बताया और रोज शाम ओफिस छूटने के बाद का कार्यक्रम रखा गया । रोज दोपहर को तो कामवाली चली जाती थी । इसलिए मैं स्वयं झाडू - पोछा करके हॉल (ध्यानखण्ड) रोज साफ करता था और बाद में दरी वगैरह बिछाकर तैयार करता था। और जब उनके सेवाधारी आते , तब तक वह हॉल तैयार करके उन्हें सौपकर नहाने चला जाता था

भाग -६ - ६५

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