सद्गुरू आशीवॉद देकर मुक्त नहीं होते

" शिष्य आशीवॉद लेकर छूट जाता है लेकिन सद्गुरू आशीवॉद देकर मुक्त नहीं होते  , आशीवॉद पूणँ फलीभूत होने तक वे चेतना के रूप में शिष्य के सदैव साथ ही होते हैं |"
             
हि.का.स.यो-5

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