प्रत्येक आत्मा अलग-अलग होती है।

पत्नी ने कहा , प्रत्येक आत्मा अलग-अलग होती है। वह अपना कार्यक्षेत्र निच्छित करके ही जन्म लेती है। उसके भाग्य को हम नहीं बदल सकते हैं। उनके भोग जब तक समाप्त नहीं होंगे , उन्हें आपकी बात समझ में ही नहीं आएगी और जब भोग समाप्त होंगे तो आपकी बातें उन्हें याद आएँगी। जब उन्हें उनके हाल पर ही छोडो। आप आपकी ओर प्रयत्न किया करो कि वे जागृत हों। उससे आपको एक समाधान प्राप्त होगा कि आपने एक नि:स्वार्थ भाव से उन्हें जगाना का प्रयत्न किया। बस, यही आपके हाथ में है और यही करें। ही सकता है कि उनका भीतर की ओर जाने का समय न आया हो। सभी कुछ एक ही जन्म में हो, यह आवश्यक नहीं है। यह तो जन्मों-जन्मों कि प्रकिया है। हो सकता है , यह आत्मज्ञान उन्हें अगले जन्म में मिलनेवाला हो , वे अभी इसके योग्य ही न हों।

भाग- ६- ५३/५४

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