संस्कार

     संस्कार यानी ?संस्कार के अंदर देह को कोई महत्व नही रहता है । पद्धति के अंदर , मेथड के अंदर देह को महत्व रहता है । एक सिस्टिम रहता है , देह की उपयोगिता रहती है , देह की एक्सरसाइज रहती है , देह के अभ्यास रहते है औऱ उन अभ्यास के द्वारा धीरे -धीरे -धीरे देह के ऊपर नियंत्रण किया जाता है । औऱ धीरे-धीरे -धीरे चित्त पे नियंत्रण हो जाता है । तो ऐसी कोई भी पद्धति , ऐसा कोई भी तरीका , ऐसा कोई भी मार्ग "समर्पण ध्यानयोग "मे नही है ।
      तो आज मैं र्हदय से उन जैन गुरुओं का आभारी हूँ जिन्होंने यह खोज निकाला की ये ध्यान की पद्धति नही , ध्यान का "संस्कार"है

परमपूज्य गुरुदेव
गुरुपूर्णिमा२०१७
       

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