आदर्श साधक

      यह सदैव प्रत्तेक स्थिति में प्रसन्न होता है । उसे कभी भी किसी की शिकायत नही होती क्योँकि शिकायत करनेवालों से यह दूर रहता है । शिकायत करनेवाले प्रायः अतृप्त आत्मा ही होती है । वह प्रत्तेक स्थिति में अतृप्त ही होगी ।

परमपूज्य गुरुदेव
आध्यात्मिक सत्य

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