जीवंत गुरु निमित्य हैं।

"वास्तव में जीवंत गुरु निमित्य हैं। वे आत्मजागृति कराते नहीं,बल्कि उनके सानिध्य में आत्मजागृति होती है।उनके बिना आत्मजागृति संभव नहीं हैं।यह ठीक वैसा ही है,जैसे हमारे बैंक के लाकर में हमारे बहुमूल्य जेवर रखेगए हैं औरजब तक बैंक मैनेजर अपनी चाबी लाकर में नहीं लगाता,हम लाकर खोल कर जेवर नहींले सकते हैं।जेवर अधिकार हमारा है लेकिन फिर भी बैंक मैनेजर की सहमति के बिना जेवर प्राप्त करना संभव नहीं है।बस,आध्यात्म में ऐसा ही है।"

- सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी

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