जेहि विधि राखे राम तेहि विधि रहिए

      मेरे कॉलेज के दिनों में एक भजन मैं गुनगुनाया करती थी । आज उसका अर्थ पूर्ण रूप से सिर्फ समझा ही नही अनुभव भी कर रही थी । 
जेहि विधि राखे राम
तेहि विधि रहिए
सुखों को जो अपना कहिए
दुःखों को भी सहिए हो राम ॥
जेहि विधि राखे .. ..
॥ "माँ ॥
पुष्प १/४८

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