आध्यात्मिक प्रगति की इच्छा
पू.गुरुमाँ :-- "ज़ी मै सुन रही हूँ ।"कहते हुए विचारों के भँवर से बाहर आई । मैने पूछा ,"आप ईश्वर से साक्षात्कार उनकी अनुभूति -ईश्वरप्राप्ति कैसे करेंगे ?क्या आपको कोई पथप्रदर्शक गुरु मिले ?"
पू.स्वामीजी :-- "नही अभी तक तो नही ,पर मिल जाएंगे ,मुझे पूर्ण विश्वास है । तुम कहो ,मेरे नौकरी छोड़ने के बारे में तुम क्या सोचती हो ?"
पू.गुरुमाँ :-- "ज़ी ,मैं क्या कहूँ ?आप माँ -बाप से पूछिए , वे बड़े है घरमें ।"मैने कहा किंतु 'ये बोले ',
पू.स्वामीजी :-- "उनसे तो पूछूँगा ही ,पहले तुम कहो ,तुम मेरी सहचरी हो , सहधर्मचारिणि हो ।तुम्हारा उत्तर भी मेरे लिए बहुत मायने रखता है ।"
पू.गुरुमाँ :--कुछ सोचते हुए मैने उत्तर दिया ,"मेरे विचार में भौतिक इच्छा पूर्ण करे न करे किंतु आध्यात्मिक प्रगति की इच्छा आत्मा की इच्छा होती है । आत्मा की इच्छा अवश्य पूर्ण की जानी चाहिए । ...चलिए , रात बहुत हो गई है , सो जाएँ ?"
परमवंदनीय पुज्या गुरुमाँ
संदर्भ :--"माँ "-- पुष्प -1 - 20
संदर्भ :--"माँ "-- पुष्प -1 - 20
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