शरीरभाव

आप लोगों के साथ मैं ध्यान कर रहा था और अचानक एक बड़ा भूकंप का झटका आया। सारे ऊपर लगें पंखे अचानक हिलने लग गए। आप लोग सीठियों की ओर भागने लग गए , कुछ लोग भागे भी , कुछ लोग बिल्डर को गालियाँ देने लग गए कि इतना कमजोर बिल्डिंग क्यों बनाया? यानी भूकंप के झटके का असर प्रत्येक मनुष्य पर पड़ा और प्रत्येक ने अपनी जान बचाने की कोशिश की थी । यह कोशिश करना मनुष्य का शरीरभाव है।
लेकिन आप देखो , मैं अपनी जगह पर ही बैठा रहा। न भाग, न विचलित हुआ। मैंने उन लोगों को कहा। अब अंतिम समय आ गया है। अब भगवान को याद करो।

भाग - ६ -११३/११४

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