जोधपुर में आ रहे तूफान को गुरुदेव ने कैसे रोका। गुरुदेव के सब्दो में।

जोधपुर में आ रहे तूफान को गुरुदेव ने कैसे रोका। गुरुदेव के सब्दो में।

" जब ध्यान करने बैठा तो लगा, मैं एक खाली पाईप हूँ। पानी एक ओर से आ रहा है और दूसरी ओर जा रहा है और पानी जैसा चैतन्य का प्रवाह लगातार गुरुओं से आ रहा था और वातावरण में जा रहा था। यह क्या हो रहा था, मुझे पता नहीं चल रहा था। लेकिन मैं केवल एक दर्शक जैसा सब कुछ देख रहा था।

बाद में जो चैतन्य शरीर से निकल रहा था, उसने एक बवंडर का रुप ले लिया। बवंडर अंदर की ओर रहता है। यह चैतन्य का बवंडर बाहर की ओर था और उसका आकार प्रतिक्षण बढते ही जा रहा था और चित्त से यह सब महसूस कर रहा था। उस बवंडर ने सारे जोधपुर शहर को व्याप लिया और वह ऊपर और ऊपर की ओर जा रहा था और वह इतना ऊपर चला गया कि शहर भी ऊपर से नहीं दिख रहा था।

बाद में वह बवंडर पाकिस्तान की दिशा में चला गया। थोडी देर बाद सब शांत हो गया और बाद में धीरे -धीरे सब एकदम शांत-शांत लग रहा था।"

हि.स.योग.6-पेज.127.

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