गुरु सानिध्य
गुरु सानिध्य में रहना सब कुछ नहीं है। हम गुरु सानिध्य का उपयोग किस दिशा मे कर रहे है, वह महत्वपूर्ण है।गुरुसानिध्य मे रहते हुए हमारा चित कहाँ है उस और ही हमारी प्रगति होगी। हमारा चित अगर गलत दिशा मे होगा तो गलत दिशा मे ही आगे बढे़गे ।फिर गलत दिशा मे आगे बथकर सोचेगा कि मै गलत दिशा मे आ गया फिर वापीस सही दिशा मे गुरु कि और मुडता है तब उसकी हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो जाती है। न घर का रहता है न घाट का।
(हिमालय का समर्पण योग, भाग -3)
शिवकृपानंद स्वामी
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