ध्यान पध्दति की आज के समाज को आवश्यकता है

इस ध्यान पध्दति की आज के समाज को आवश्यकता है।और अब वह सही समय भी आ गया है कि एक गुरु के माध्यम से लाखों व्यक्त्ति आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करें।इसलिए इसी पवित्र बेला की राह गुरुशक्त्तियाँ पिछले ८००सालों से देख रही थीं।जब संपूर्ण रात समाप्त होती है,तभी सूर्योदय होता है।ठीक ऐसा ही यहाँ भी हुआ है।अधर्म का अँधेरा अब समाप्ति की और हैऔर आत्मज्ञान के सूर्य का उदय होने ही वाला है। जिस प्रकार से सूर्योदय होने पर रात का साराअँधेरा दूर हो जाता है और सभी ओर प्रकाश-ही- प्रकाश हो जाता है और सूर्य के प्रकाश में सब स्पष्ट दिखता है,वैसे हीआत्मज्ञान का सूर्य अनुभूति की किरणों के साथ उदित हो चुका है, जो अँधेरा अज्ञानता के कारण फैला हुआ था,वह बस समाप्त ही होने वाला है। होगा,कुछ लोगों को सूर्योदय होने पर तुरंत पता चल जाएगा कि वे क्या सही कर रहे थे और क्या गलत कर रहे थे।वे गलत भी जो कर रहे थे,वह केवल अज्ञान के अँधेरे के कारण कर रहे थे।यह बात सही है,ऐसा समझकर कर रहे थे।उन्हें पता नहीं था,इसलिए कर रहे थे। लेकिन सूर्य के प्रकाश में जैसे ही पता चलेगा कि वे " सही है " समझकर जो गलत बातें कर रहे थे,वे बातें गलत थीं,वे धारणाएँ गलत थीं,वे लोग वे बातें छोड़ देंगे। कुछ लोग जल्दी छोड़ देंगे,
कुछ लोग बाद में छोड़ेंगे।...

हि.स.यो-४                   
पु-४४८

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी