मोक्ष की स्तिथि उस गर्भ के समान
"मोक्ष की स्तिथि उस गर्भ के समान है जिस गर्भ को धारण करने के बाद स्त्री को गर्भ को संभालना पड़ता है और गर्भ को बड़ा करना होता है और बाद में जन्म देना होता है | ठीक इसी प्रकार सेमोक्ष की स्तिथि पानी पड़ती है ,ग्रहण कर वृद्धिगत करनी पड़ती है ,संजोनी पड़ती है और अंत में किसीको देनी पड़ती है | जब तक नहीं देते, मोक्ष नहीं है |-
कई लोग अपने जीवन में गलती करते हैं ; मोक्ष की स्तिथि को प्राप्त करते हैं और उसी स्तिथि को पकडे रहते हैं और किसी को भी नहीं देते हैं और स्वयं भी उस स्तिथि से मुक्त नहीं हो पाते हैं | वास्तव में, किसी को मोक्ष की स्तिथि देना ही मोक्ष है | जीवन में पाना बड़ा आसान कार्य है ,पर देना बड़ा कठिन कार्य है | यह ठीक वैसा ही है जैसे कुछ खाना आसान होता है ,पर उस खाने को पचाना कठिन होता है |"
हि.स.यो.२/१२८
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