अनुभूति पुस्तकें नहीं करा सकतीं
आध्यात्मिक क्षेत्र में परमात्मा का भी है। पुस्तकें हमें परमात्मा के बारे में जानकारी दे सकती हैं लेकिन वह सब भूतकाल के परमात्मा के माध्यम के बारे में होगी। औऱ इस जानकारी से हमें परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। परमात्मा की प्राप्ति होती है अनुभूति से और अनुभूति पुस्तकें नहीं करा सकतीं क्योंकि निजीव होती हैं। और इसीलिए हम जीवंत गुरु के पास जाते हैं औऱ उसके माध्यम से हम परमात्मा की अनुभूति प्राप्त करते हैं। और परमात्मा की अनुभूति जिस गुरु से प्राप्त की , हम उस माध्यम को ही परमात्मा मानने लगे जाते हैं। अपनी अनुभूति को बठाने के लिए और यह आध्यात्मिक स्थिति को वुद्धिगत करने के लिए यह ठीक ही है। लेकिन जब हम अपने गुरु को परमात्मा मानते हैं , तब यह जानकर ही मानें कि परमात्मा एक विश्वव्यापी शक्ति है और मेरे गुरु उसके माध्यम हैं। ये माध्यम हैं , ये परमात्मा नहीं हैं। किसी भी माध्यम को परमात्मा मानना अच्छा है क्योंकि परमात्मा मानना एक भाव है जो मनुष्य को आज अच्छी आध्यत्मिक स्थिति प्रदान करता है। लेकिन वास्तव में कोई गुरु परमात्मा नहीं होता। यही कारण है , किसी ने भी मैं परमात्मा हूँ यह नहीं कहा है।
भाग - ६ -११६
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