सामुहिकता

     आध्यात्मिक प्रगति माटे संघनी खूब आवश्यकता छे कारण के प्रगति माटे आवश्यक गुण एक आत्मा माँ होय ज, ऐ जरुरी नथी । परंतु संघनी सामुहिकता माँ ऐ गुण स्वयं निर्मित थई जाय छे अने सामुहिकता माँ आत्मा नी ऐ प्रगति थाय छे के एकला कदापी न थई सके । सदैव एकला ध्यान करवा जेवी शारीरिक अने मानसिक स्थिति होय, ऐ जरुरी नथी । परंतु सामुहिकता माँ ऐ स्थिति एकबीजा नी मदद थी मणी जाय छे । ऐटला ज माटे कहेवाय छे, सामुहिकता माँ एक ने एक बे नथी थतां, अगियार थाय छे ।

सद्गुरु श्री शिवकृपानंद स्वामीजी
( हिमालय का समर्पण योग - 4 )

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