वैचारिक प्रदुषण
आनेवाला समय बहुत ख़राब है | अनेक संकटों को मनुष्य स्वयं अपनी ही अज्ञानता से आमंत्रित करने वाला है | वैचारिक प्रदुषण से भी कई असंतुलन प्रकृति में निर्मित होने वाले है | उन सबके परिणाम मनुष्य को ही भोगने होंगे |
इन सबसे बचने का एकमात्र मार्ग है - सकारात्मक सामूहिक शक्तियों का उदय | क्योंकि नकारात्मक शक्तियां संगठित होकर प्रयास करेंगी | इस मनुष्यता को नष्ट करने के सामूहिक प्रयास भविष्य में प्रारम्भ होंगे | और जितने सामूहिक प्रयास होने उनसे घबराकर मनुष्य और भयभीत होगा और बिखर सा जाएगा |
इसके लिए आवश्यक है - सामूहिकता में सकारात्मक प्रयास क्योंकि सामूहिक शक्ति ही मनुष्य को भविष्य के खतरे से बचा सकती है | एकाकी मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा | एक मनुष्य के पीछे अगर सामूहिक नकारात्मक शक्तियां लग जाएँ, तो उस मनुष्य को तो वो नष्ट ही कर देंगी | नकारात्मक सामूहिक शक्तियों का सामना सकारात्मक सामूहिक शक्तियों द्वारा ही किया जाएगा | और कोई, दूसरा मार्ग नहीं है |
तुम्हारा जन्म ही सकारात्मक सामूहिक शक्तियों के संयुक्त प्रयास से हुआ है |-- तुम्हारा जन्म ही सकरात्मक सामूहिक शक्तियों का उदय है | तुम्हारा जीवन भी निमित्त्य है | क्योंकि सकारात्मक शक्तियों का कार्य तो तुम्हारे जीवनकाल के बाद प्रारम्भ होगा | तुम उनके प्रेरणा स्थान बनोगे | तुम्हारा जीवन उनका गुरुक्षेत्र होगा | तुम्हारे गुरुक्षेत्र तक पहुँचकर वे आत्मानुभूति को प्राप्त करेंगी | तुम्हारा जीवन एक नयी आध्यात्मिक क्रान्ति की शुरुआत है |
हि.स.यो.३/६६
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