सद्गुरु
* सद्गुरु अपने शरीर को इसलिए दूर रखते है क्योंकि वे जानते है -शरीर नाशवान है , अपने साधकों का चित्त सूक्ष्म शरीर पर होना चाहिए । औऱ इसीका वे प्रयास करते है ।
* सद्गुरु साधकों को शक्ति से जोड़ते है , शरीर से नही । इसलिए शरीर से दूर रहते है ताकि साधकों का चित्त शक्तियों पर ही केंद्रित रहे ।
* शक्तियाँ अविनाशी है । शक्ति ही परमात्मा है । शरीर एक माध्यम है । शरीर नाशवान है ।
आध्यात्मिक सत्य
परमपूज्य गुरुमाऊली
१-३-२००७
गुरुवार
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