सारे विश्व में वैचारिक प्रदुषण फ़ैल रहा है

सारे विश्व में वैचारिक प्रदुषण फ़ैल रहा है और सारा मानव समाज इसमें डूब रहा है | और इस वैचारिक प्रदुषण से विश्व में एक प्रकारल का असंतुलन निर्मित हो रहा है | इस नकारात्मक विचारों के प्रदुषण से साड़ी मानव जाती परेशान हो गयी है और इन नकारात्मक विचारों को दूर करने के उपाय खोज रही है |

कुछ लोगो ने नकारात्मक विचारों से मुक्ति पाने के लिए सकारात्मक विचारों का प्रयोग किया है | पर यह प्रयोग भी बेकार ही साबित हुआ है | क्युकी मनुष्य सकारात्मक विचार करे या नकारात्मक विचार करे ,दोनों ही स्तिथियों में प्रदुषण ही फैलाता है | इस अस्थायी प्रयास में भी मनुष्य की ऊर्जा तो खर्च होती ही है ,क्योंकि जो सकारात्मक विचार कर सकता है ,वही मनुष्य नकारात्मक विचार भी कर सकता है | दोनों ही विचार मनुष्य की शक्ति को खर्च करते है |

इन दोनों से मुक्ति निर्विचारिता की स्तिथि है | और यह स्तिथि भी स्वयं प्राकृतिक रूप से मिलनी ध्यान में ही संभव है | यानि विश्वकल्याण का मार्ग आत्मज्ञान से ही संभव है |

हि.स.यो.२/२३

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