परमात्मा
परमात्मा एक अविनाशी शक्ति है जो सदैव विधमान रहती है। उसका न कभी जन्म होता है और न कभी मूत्यु होती है। मैं न तुम्हारा गुरु हूँ और न तू मेरे शिष्य हो। हम सब समान है , एक जैसे हैं। मैं जैसा हूँ, वैसा का वैसा मैं तुम्हें बनाने आया हूँ।
भाग ६ - ११२
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