सद्गुरू के हदय से

     आत्मभाव को शरीरभाव से(की अपेक्षा) कई गुना बढा लो | केवल आत्मा के साथ रहकर ही आत्मभाव बढ़ जाता है क्योंकि आत्म पवित्र है, शुद्ध है |

बाबा स्वामी 35

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