नियमित ध्यान

     ऑरा या चक्रों पर अधिक चित्त न रखते हुए साधकों को केवल नियमित ध्यान करना चाहिए जिससे ऊर्जा मूलाधार चक्र से ऊपर की ओर सभी चक्रों को ऊर्जान्वित करती है औऱ सभी चक्र शुद्ध हो जाते है ।

परमपूज्य गुरुदेव
१७-८-२०१४
बर्लिन

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