ग्रह-नक्षत्र
गुरुदेव ने शून्य की ओर देखते हुए कहा, " ये सब ग्रह-नक्षत्र की बातें तू शरीर के स्तर की कह रहा है | जिसे गुरुछत्र मिल गया, उस पर ग्रह-नक्षत्र का प्रभाव नहीं पड़ता है | अरे बाबा, गुरु कोई व्यकित थोड़ी ही होता है, एक बड़ा, जन-सामूहिकता का, सागर होता है | एक सागर में तू समाहित हो गया, तो तेरा अलग अस्तित्व ही नहीं है | फिर, तुझ पर बुरा प्रभाव पड़ेगा कैसे? बुरा प्रभाव पड़ने के लिए अलग अस्तित्व होना चाहिए न ?
हि.स.यो-१
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