मरना आसान होता है, जीना ही कठीण

पत्नी बाद में स्कूल में जाकर आई। वह बोली , मैं तो स्कूल में जाकर आई तो अलग लोगों से मिली , अगल वातावरण में गई मुझे अच्छा लगा। तुम भी कोई बाहर अपना कार्यक्रम लेकर जाओ तो तुम्हें भी चेन्ज लगेगा। क्योंकि धर पर बैठे हो तो माँ की मूत्यु का ही विषय तुम्हारा चलता रहेगा। मुझे भी लगा कि मरना आसान होता है, जीना ही कठीण होता है। मरने वाला तो मर गया , अब हम थोड़ी मरने वाले के साथ मर सकते हैं। हमें तो जीना ही पड़ेगा और इस मेरे परिवार के बारे में भी मेरी कुछ जवाबदारियाँ हैं। अब उनके लिए जीना ही पड़ेगा। मैं बचपन से सोचता था कि जिन बच्चों के माँ-बाप मर जाते हैं तो वे उनके बिना जी कैसे लेते हैं? मुझे आज उसका उत्तर मिल गया था। माँ-बाप का संबंध समाप्त होता है तो पत्नी और बच्चे यह संबंध बन जाता है।

भाग ६ - १०३

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