अधिकृत

श्री बड़े महाराजश्री का मार्गदर्शन मिलने लगा, " आध्यात्मिक क्षेत्र में 'अधिकृत ' शब्द का बड़ा महत्व है। यहाँ ' अधिकृत '  शब्द काअर्थ व्यापक है।यह अनुभूति का ज्ञान प्रदान करने के लिए गुरुशक्त्तियों ने तुम्हें अपने माध्यम के रूप में ,अपने प्रतिनिधि के रूप में अधिकृत किया है। अधिकृत किया है यानी गुरुशक्त्तियों ने अपनी सारी शक्त्तियाँ तुम्हें सौंप दी हैं। तुममें और उनमें अब कोई अंतर नहीं रह गया है।अब तुम्हारा समूचे अस्तित्व ही शून्य हो गया है क्योंकि अब वे तुम्हारे माध्यम बनाकर ही कार्य करेंगी। और कार्य विशाल स्तर पर संपन्न होगा क्योंकि तुम्हें माध्यम बनाने वाले अनेक सद्गुरु  हैं,अनेक मुनि हैं, अनेक कैवल्यकुंभक योगी है!इतने सारे सद्गुरुओं का  विश्वास तुम पर है!ये सारे ही तुम्हारे साथ हैं। यहाँ से तुम समाज में भलेअकेले जाओगे तो भी ये सब सदैव तुम्हारे साथ रहेंगे।तुम्हें कभी भी ऐसा नहीं लगेगा कि तुम अकेले हो क्योंकि
उनकी उपस्थिति तुम्हें सदैव महसूस  होती रहेगी।उन्होंने अधिकृत किया है यानी  वे पूरी जिम्मेदारी के साथ तुम्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।इसलिए,कैसी भी परीस्थितियाँ जीवन में आएँ,तुम सदा सुरक्षित ही रहोगे।तुम्हारी सुरक्षा की चिंता तुम से अधिक उन्हें है क्योंकि उनका कार्य तुम्हारे माध्यम से संपन्न होने वाला है। सालों से की  गई तपस्या का फल किसी को इतने विश्वास के साथ सौंपना बहुत बड़ी बात है!और एक नहीं ,अनेक सद्गुरुओं ने तुम्हें अपनी तपस्या का फल सौंपा है!
सद्गुरुओं की सामूहिकता सदैव तुम्हारे साथ रहेगी।इसलिए तुम भी सदैव ,उनका कार्य करने के लिए आया हूँ और यह सब उन्हीं का है,यह भाव रखकर करो। तो कार्य का बोझ कभी नहीं लगेगा।...

हि.स.यो-४                  
पु-४४९

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