मनुष्य की पहली गुरु तो उसकी माँ

माँ याद आती है , माँ के जाने के बाद। ऐसा ही मेरे एक गुरु के अपने गुरु के लिए कहते थे कि गुरु याद आता है गुरु के जाने के बाद । गुरु समझ आता है , गुरु के जाने के बाद। गुरु पास आता है, गुरु के दूर होने के बाद। गुरु को पाते हैं , गुरु को खोने के बाद। गुरु का शरीर छोड़ने के बाद शरीर रूपी एक बाधा दूर हो जाती है। गुरु और शिष्य का संबंध भाव का संबंध है और भाव आत्मा का शुद्ध स्वरूप होता है। और मनुष्य की पहली गुरु तो उसकी माँ हो होती है। आज यह है की मनुष्य को माँ की कीमत माँ के खोने के बाद ही पता चलती है।

भाग - ६ -१०९

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