प्रत्येक मनुष्य आत्मनिर्भर बने।

" प्रत्येक मनुष्य आत्मनिर्भर बने। कोई भी मुझपर निर्भर न रहे। प्रत्येक मनुष्य समर्पण ध्यान करके अपने आसपास चैतन्य का आभामण्डल बनाए और वह आभमण्डल उसका अपना एक अलग विश्व ही होगा।

ऐसा अपना एक विश्व बनाए जो कल्याणकारी हो, शांत हो, प्रसन्न हो, सकारात्मक ऊर्जा और सकारात्मक विचारोंवाला हो जो सदैव सृजनात्मक कार्य करता हो। ऐसा अगर छोटा विश्व प्रत्येक मनुष्य अपने आसपास बनाए तो हो सकता है कि विश्व में शांति आ जाए और प्रत्येक मनुष्य ही अपने-अपने विश्व में शांति को प्राप्त करे और सुखी हो।

इस प्रकार से छोटे-छोटे विश्वों से ही एक बडे विश्व की कल्पना की जा सकती है कि समूचा विश्व ही शांति का सदन हो और मनुष्यजाति ही सुखी और समृद्ध हो जाए।"

हि.स.योग,6-पेज.89.

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