प्रार्थना

प्रार्थना सदैव हमारे चित्त को शुद्ध करती है ।
प्रार्थना का क्षेत्र जितना विस्तृत होगा , हमारा चित्त भी उतनाही विकसित होगा औऱ जितना विकसित होगा उतना ही शुद्ध होगा । इसलिए सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना विश्वकल्याण की मानी जाती है।

ही.का.स.योग
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