बच्चे बचपन से ध्यान करते हैं तो उनके आसपास एक आभामण्डल निर्माण हो जाएगा

जिस प्रकार से किसी बँक में डाका डालना हो तो पहले लुटेरे किसी स्थान पर बैठकर शराब पीते हैं और शराब पीकर अपनी नकारात्मक शक्तियों को बठ़ाते हैं और बाद में बँक में ढाका डालते हैं। यानी कोई भी पाप करने के पहले आपसे पास उस पाप को करने की नकारात्मक ऊर्जा होनी चाहिए। जब वह नकारात्मक ऊर्जा निर्माण हो जाएगी , तभी वह पाप धटित हो पाएगा। तो अगर आपके बच्चे बचपन से ध्यान करते हैं तो उनके आसपास एक आभामण्डल निर्माण हो जाएगा। एक पूण्य का आभामण्डल , एक सकारात्मक ऊर्जा का आभामण्डल , तो उनके हाथ से कभी पाप ही नहीं होगा। क्योंकि पाप कर्म करने के लिए उनके पास पाप की ऊर्जा ही नहीं होगी। इस प्रकार आपने बच्चे पाप कर्म करने से बच। जाएँगे। और आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। बच्चों  के व्यवहारिक शिक्षा पर काफी प्रयास किया जा रहा है , लेकिन इस आध्यात्मिक शिक्षा को भी व्यवहारिक शिक्षा के साथ जोड़ा जाना चाहिए। यह जब हम कर पाएँगे तभी हम हमारे बच्चों को संपूर्ण तैयार कर पाएँगे। बच्चों पर माँ-बाप के विचारों का भी बहुत ही प्रभाव पड़ता है , विशेषत : माँ के विचारों का।  कई बार माँ अपने बच्चे के साथ इतनी अधिक अटॅच हो जाती है कि उसके कारण बच्चों की ओर ध्यान मत दो , यह भी कहता नहीं। अपने बच्चों में अधिक अपना चित्त मत डालो।

भाग -६ - २२३/२२४

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