Aneri:
|| जय बाबा स्वामी ||

सभी साधक भाई बहनों को मेरा नमस्कार,

गुरु परिवार के लिए आप सबका कितना प्रेम है, इसमें मुझे कोई शक नहीं था ।
एक महापुरुष ने कहा है , "दुष्कर्म करना पाप है तो उसको सहना महापाप है।" । यह जान कर ही मैंने यह बातें खुल कर बोलने का निर्णय लिया ।

अंदर की बातें बाहर लाना मेरा उद्देश्य नहीं,
लेकिन अकारण गुरु-परिवार राजनीति झेले यह मुझे स्वीकार नहीं ।

मेरे पिता, समाज के लिए एक आध्यात्मिक महापुरुष हैं । और एक पुरुष से महापुरुष बनने की यात्रा में कोई भी सब कुछ नहीं कर सकता ।  इसी कारण हम तीनों बच्चों को अपने पिता का उतना अधिक सानिध्य प्राप्त नहीं हो पाया, लेकिन हमें कभी भी ऐसा नहीं लगा । कारण एक ही था, हमारे इस समर्पण परिवार ने हमें इतना प्रेम और आदर दिया है, की उससे ना केवल हमें हमारे पिता की कमी पूर्ण हुई, बल्कि मुझे तो एक इतने बड़े परिवार के भाई-बहनों कभी साथ-साथ मिला ।
*कल गुरुमां ने भी वीडियो पूरा देखा, उन्हें भी महसूस हुआ की यह कदम उठाने के अलावा शायद और कोई रास्ता था ही नहीं था ।*

*मुझे कल कई सारे इमेल भी आए, अधिकांश साधकों ने माना कि उन्हें भी, मेरी कही गई बातें सेंटर के निचले स्तर पर भी मासूस हुई है । एक साधक ने मुझे यह तक लिखा था, की उनके सेंटर पर ऐसी कई अफवाहें है कि मैंने ट्रस्ट के सारे पैसे शेर मार्केट में लगा दीये है । जिन साधकों ने ऐसी अफवाहें सुनी हो उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि, किसी भी प्रकार से एक ट्रस्ट अपना धन शेर मार्केट में तो छोड़िए mutual फंड (कुछ सरकार मान्य mutual fund छोड़ कर) में भी नहीं लगा सकता । ऐसी अफवाहें भी फैलाने वाले, साधकों तक यदि मैं पहुंचूं और छानबीन करूं तो कहीं ना कहीं इन साधकों का हमारे नजदीकी साधकों से संबंध होगा, जिन्होंने अपनी होशियारी दिखाने के चक्कर में इस प्रकार की अफवाहें फैलाई होंगी । मेरा आप सभी साधकों से नम्र निवेदन है, ऐसी अफवाहें भले ही आप सुन ले परंतु उन बातों को मुझ तक अवश्य पहुंचाए, क्योंकि जो बातें आपके बीच हो रही है, हो सकता है उन बातों की जानकारी हमें भी ना हो ।*

समर्पण परिवार में इतने सारे अच्छे-अच्छे बदलाव ला जा रहे हैं, ऐसे में मैंने जो वीडियो भेजा था वह अधिक समय तक youtube में रखने पर शायद इससे नेगेटिव दृष्टिकोण भी फैल सकता है, इसी कारण मैंने youtube से वह वीडियो हटा दिया है । परंतु आने वाले समय में यदि मुझे कुछ बहुत गलत होता हुआ लगा तो मैं इस तरह के वीडियो आगे भी निकालता रहूंगा । मेरा मानना है कि यदि समर्पण के अच्छे-अच्छे बदलाव के बारे में जानकारी दी जाती है तो मेरे परिवार को यदि कुछ गलत हो रहा है तो, उससे सजग करना भी उतना ही अधिक आवश्यक है ।

जैसा कि गुरुदेव पहले भी कहते आए हैं कि उनकी नदी में अच्छे भी घाट हैं और बुरे भी घाट हैं, आप सभी साधक उस अच्छे घाट से चैतन्य प्राप्त करें जिससे, मोक्ष रुपी जो अंतिम लक्ष्य है उस तक हम सब पहुंच सके ।

जय बाबा स्वामी....

आपका
अनुराग

@$wiπi .:
*॥जय बाबा स्वामी॥*

मनुष्य को अपनी उम्र के साथ-साथ अपनी सहनशीलता बढानी चाहिए क्योंकि सहनशीलता की कमी असंतोष का कारण है। आज जगत में जो असंतोष बढ रहा है , उसका एक मात्र कारण सहनशीलता की कमी है।

आनेवाले भविष्य में मनुष्य के सुखी जीवन का मुख्य आधार सहनशीलता होगी क्योंकि इस सहनशीलता की कमी मनुष्य-जगत में होनेवाली है।

प्रकृती के सान्निध्य में रहने वाले लोगों में बडी सहनशीलता व धैर्य पाया था। मुझे लगता है कि प्रकृती का यह अनुपम उपहार ही है जो प्रकृती के सान्निध्य में मनुष्य को प्राप्त होता जाता है।

*सहनशीलता आत्मा की शक्ति है।* आत्मा जितनी सशक्त होगी , उतनी ही सहनशीलता अधिक होगी।

मनुष्य जैसे जैसे ध्यान करता है , वैसे वैसे वह प्रकृतीमय होते जाता है और प्रकृतिमय हो जाने से सहनशीलता उसमें स्थापित होनी शुरू हो जाती है। और इस सहनशीलता के कारण मनुष्य कठिन से कठिन समय में भी शांत रहता है।

मनुष्य को सहनशीलता एक सशक्त आत्मा की देन है।

सहनशीलता एक ऐसी शक्ति है जो ध्यान करने से मनुष्य के भीतर ही विकसित होती है। प्रत्येक मनुष्य को यह स्वयं विकसित करनी पडती है। इसे बाहर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

*मधुचैतन्य सितंबर २०१५/२८*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Dharmesh Patel:
🌿🌷जय बाबा स्वामी 🌷🌿

  "मनुष्य की स्थिति, असंतुलित हो तब, एक समस्या से भी मनुष्य प्रभावित होता है। अगर किसी व्यक्ति- विशेष के प्रति गुस्सा हो, नाराजगी हो,तो यह भी एक खराब स्थिति का द्योतक है। उसे क्षमा कर दीजिए, हृदय से क्षमा कर दीजिए। क्षमा करने से हमारे दो चक्र, पवित्र हो जाते हैं.- एक तो आज्ञा चक्र खुलता है, क्योंकि वह व्यक्ति , आपके आज्ञा चक्र में, बैठा हुआ होता है। और दूसरा क्षमा भावना से हृदय-चक्र खुलता है ।
यदि भविष्य की चिंता  सता रही हो तो, यह भी असंतुलन की स्थिति है। 'क्योंकि वास्तव में भविष्य तो वह मंजिल है, जो वर्तमान की नींव पर, आधारित होती है' अगर आप वर्तमान को अच्छा रख रहे हैं तो, भविष्य तो अच्छा होगा ही।
     ~ बाबा स्वामी
     हि.का स.योग 4

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