🌹➰🌹 *जय गुरूदेव* 🌹➰🌹

'समर्पण' शब्द का अर्थ अपने-आपको शारीरिक रूप से संपूर्ण नष्ट कर आत्मिक रूप से अपने गुरु की आत्मिक शक्तियों में समाहित हो जाना है।

समर्पण का अर्थ - 'मैं' को ही सौंप देना है।

समर्पण यानि अपने अस्तित्व को नष्ट कर शून्य कर देना है , खाली कर देना है ताकि गुरुकृपा में परमात्मा की उर्जा उतर सके।

एक बार में समर्पण का भाव लाने से समर्पण नहीं हो जाता है , यह निरंतर करने की प्रक्रिया है ताकि यह समर्पण बनाए रखे जा सके ।

समर्पण के भाव को बनाए रखना अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि न बनाए रखने पर पाया हुआ सब खो सकते हैं। और यह निरंतर साधना की तरह रोज की जाने वाली प्रक्रिया है।

*हिमालय का समर्पण योग:१*

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