ह्नदय चक्र


मैंने शांति के साथ कलश पूजन किया और बाद में दीपक जलाया और फिर उसे नमस्कार करके कार्यक्रम प्रारंभ किया। मैंने कहा , आज का चक्र ह्नदय चक्र में एक भाग ही ह्नदय है। सामान्यत : जब भी यह चक्र पकड़ता है टी वह अपने साथ अन्य चक्रों को भी प्रभाविक करता है। जब हम भूतकाल में ही चित्त रखते हैं और सदैव भूतकाल के ही विचार करते हैं , तो ऐसा करने से यह चक्र पकड़ता है। सदैव नकारात्मक विचार करना इस कि खराबी के कारण होता है। मैं चाहता हूँ , प्रत्येक नाड़ी के साथ अपने-आपको जोड़कर देखों तो आपको स्वयं ही पता चल जाएगा कि आपके कौन से चक्र खराब हैं और कौन सी नाड़ियाँ खराब हैं। इस चक्र की खराबी से मनुष्य में भय निर्माण हो जाता है। मेरी दुर्धटना भी हो सकती है , यह एक दुर्धटना का भय है , जो ह्नदय चक्र पकड़ने से आता है। जीवन में सबसे बड़ा भय होता है मूत्यु का। आज मूत्यु के भय का ही बीमा कंपनी अपने व्यापार के लिए उपयोग कर रही है। वो जो कर रही हैं, वह भविष्य के दृष्टि से अच्छा है , लेकिन सारे बीमा कंपनियों का व्यापार ही मनुष्य के मूत्यु के भय के ऊपर ही चल रहा है। मूत्यु का भय , धर नष्ट होने का भय , कार की दुर्घटना का भय यह विभिन्न प्रकार के भय हैं , जिस भय के आधार पर ही बीमा कंपनियाँ विश्वभर में व्यापार कर रही हैं।

भाग - ६ - २१९

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