[17/05 6:18 pm] Manish: _*जब भी किसी माध्यम का सान्निध्य मिल जाए, तो वह अनुभव करना चाहिए। माध्यम अनुभव करने की चीज़ है, देखने की नहीं। और जब तक हम देखते रहेंगे, तब तक उसका शरीर ही  दिखेगा। लेकिन जब हमारी  आँखें बंद हो जाएगी, तभी हमारी चित की आँख खुलेगी और चित की आँख सब अनुभूति से देखती है। *_
_* जय बाबा स्वामी*_
🍁🙏🏻🍁
_*HSY 3 pg 277*_
[17/05 6:18 pm] Manish: _*’ अनुभूति’ ही एक मात्र ज्ञान है जो पुस्तक से कभी प्राप्त नहीं हो सकती है। *_
_* जय बाबा स्वामी*_
🌼🙏🏻🌼
_*HSY1 pg 340*_
[17/05 6:18 pm] Manish: जब मैं तपस्या करके महीनों के बाद घर आता हूँ , तो हिमालय की की गूठ़ बातें मुझे पत्नी को बताना होती हैं। लेकिन जब तक पत्नी की वह आध्यात्मिक स्थिति नहीं बनती , मेरे भीतर से वह बातें निकलेगी ही नहीं। इसीलिए मैं धर आकर प्रथम रसोई सँभाल लेता हूँ। हिमालय के गुरु का ज्ञान खूब उच्च कोटि का है। वह सब बताने के लिए और वह सब सुनने के लिए भी एक आध्यात्मिक स्तर की आवश्यकता होती है। उसके बिना उनकी बातें भी नहीं की जा सकती हैं। यानी यह समझ लो कि पति या पत्नी अकेले कभी भी मोक्ष की स्थिति प्राप्त नहीं कर सकते हैं। मोक्ष की स्थिति पाने से नहीं , देने से ही प्राप्त होती है। हम सदैव मुझे क्या मिलेगा ऐसा सोचकर सदैव मेरा - मेरा करते रहते हैं और हम यह भाव जितना करते हैं उतना ही हमारा है  - जो आप पाना चाहते हो वह देना प्रारंभ करो। जिस प्रकार से हम एक बीज बोते हैं और वह बीज हमें हजारों दानों के रूप में वापस मिलता है। ठीक ऐसा ही है। आप आपके शरीर के माध्यम से जितना दूसरे को समाधान दोगे , उतना ही समाधान परमात्मा आपको भी देगा।
भाग -६ २१४/२१५

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